बारिश की बूंद
बारिश की कोई बूंद जब धरती पर आती है
वोह साफ़ सुथरी होती है,
उसमें कोइ मिलवात नहीं होती है
जिस तरह जब कोइ बच्चा पैदा होता है
वोह इस दुनिया में कोइ गंद नहीं ले आता है
उसका मन, उस बारिश की बूँद की तरह साफ़ होता है
जब वोह बारिश की बूँद
ज़मीन पर गिरती है
वोह मिटटी में मिल जाती है
जब इंसान भी गिर जाता है
वोह बदन की धूल को
अपना हिस्सा समझता है
जब उस गिरी हुई बूँद को
रोशनी दिखाई देती है
वोह फिर उस गगन की तरफ
अपना रूप पाता है
जब कोइ गिरा हुआ इंसान
धूल के अंधेरे
से बाहर निकलता है
वोह भी अपना खोया हुआ रूप
फिर ढूंढ लेता है
सितम्बर ११, २००९ ...और